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3 महीने में 3 लाख की कमाई करवाने वाले तुलसी की खेती कैसे करें, पूरी रिपोर्ट पढ़िए।

ज्यादा वक्त नहीं गुजरा जब लगभग हर भारतीय घर के आंगन में आपको एक तुलसी का छोटा सा पेड़ मिल जाता था। लेकिन शहरीकरण की आंधी में ना आंगन रहे और ना ही तुलसी का पेड़। लेकिन फिर भी तुलसी की मांग दवाई बनाने वाली कंपनियों में कई गुना बढ़ गई। तुलसी का इस्तेमाल दवा बनाने वाली कंपनियां करीब 1 दर्जन से ज्यादा बिमारियों की दवा बनाने में करती हैं।

पिछले दिनों हमने उज्जैन के एक किसान की ऐसी ही सफलता की कहानी बताई दी जिसने सिर्फ 3 महीने में 15 हजार रूपए की लागत पर 3 लाख रूपए कमाए


11 सबसे बड़े इस्तेमाल





इसके इस्तेमाल से त्वचा और बालों में काफी सुधार होता हैं।





मुंह के छालों की बिमारी के लिए ये काफी कारगर है।





बुखार, खांसी, ब्रोकाइटिस और पाचन से जुड़ी समस्या रहने पर इसकी पत्तियों के रस से बनी दवा दी जाती है।





कान के दर्द को भी इसी से बनी दवा से दूर किया जाता है।





डेंगू और मलेरिया जैसी हर साल फैलने वाली बिमारियों से बचाने में भी इसी से बनी दवा का इस्तेमाल होता है।





मूत्र से जुड़ी समस्याओं में तुलसी के बीज से बनी दवा कारगार साबित होती है।





गुर्दे से जुड़ी बिमारी और पेट में एेंठन जैसी समस्या के इलाज में भी काम आती है।





साबुन, इत्र, शैम्पू और लोशन बनाए जाते हैं।





मुंहासे की दवा और त्वचा के लिए मलहम भी इसी से बनता है।





मोटापा, मुधमेह जैसी बिमारियों का भी इलाज इसी से होता है।



भारत के उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखण्ड और पश्चिमी बंगाल जैसे कुछ राज्यों में तुलसी की खेती व्यावसायिक तौर पर की जाती है।

रोपाई

तुलसी के पौधे को खेत में लगाने का सही समय जुलाई का पहला हफ्ता होता है। पौधे 45 गुणा 45 सेंटीमीटर की दूरी पर लगाने चाहिए। जबक RRLOC 12 और RRLOC 14 किस्म के पौधे 50 गुणा 50 सेंटीमीटर की दूरी पर लगाए जाते हैं। इसके बाद हल्की सिंचाई कर देनी होती है।




सिंचाई



रोपण के तुरन्त बाद सिंचाई करनी जरूरी होती है। हर हफ्ते या जब जरूरत हो तब भी पानी देना जरुरी है। गर्मियों में हर 12-15 दिन में फसल को पानी देना होता है।

जब पहली कटाई हो जाए, तो इसके तुरंत बाद सिंचाई जरुर कर दें। लेकिन ध्यान रहे कि कटाई से 10 दिन पहले पानी देना बंद कर दें।

फसल की कटाई कैसे होती है

तुलसी की कटाई सही समय पर करनी चाहिए क्योंकि इसका असर तेल की मात्रा पर पड़ता है। जब पौधों की पत्तियां हरे रंग की होने लगें, तभी इनकी कटाई की जाती है। इसके अलावा पौधे पर फूल आने की वजह से यूनीनोल और तेल मात्रा कम हो जाती है। इसलिए जैसे ही पौधे पर फूल आना शुरू हो जाए, तभी कटाई शुरु कर देनी चाहिए।

जमीन की सतह से 15-20 मी ऊँचाई पर कटाई की जानी चाहिए। इसका फायदा ये होगा कि जल्द ही नयी शाखाएं निकलने लगेंगी। कटाई के दौरान अगर पत्तियाँ तने पर छोडनी पड़े तो छोड़ दीजिए। इससे फायदा ही होगा।

RRLOP 14 नाम के किस्म वाली तुलसी की फसल 3 बार ली जाती है।




लागत और कमाई

अगर 10 बीघा जमीन पर तुलसी की खेती करें, तो 10 किलो बीज की जरूरत होगी। जिसकी कीमत 3 हजार रुपए के लगभग होती है।





10 हजार रुपए खाद और दो हजार रु. बाकी के खर्चे के।





सिंचाई भी सिर्फ 1 बार करना पड़ती है।





एक सीजन में करीब 8 कुंटल पैदावार होती है। इसकी बाजार कीमत करीब 3 लाख रुपए होती है।





नीमच मंडी में 30 से 40 हजार रुपए प्रति कुंटल के भाव तुलसी के बीज बिक जाते हैं।



कहां बेचें

दो रास्ते हैं। पहला अपने पास की मंडी में एजेंट्स से बात करें। दूसरा – गूगल पर तुलसी की कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग करवाने वाली दवा कंपनियां या एजेंसियों को सर्च करें। हर इलाके के हिसाब से अलग अलग कंपनियां तुलसी की फसल खरीदती हैं।




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